बजट 2025: दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की घोषणा
1 min readकेसीसी ऋण सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये हुई
नई दिल्ली: बजट 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण पेश कर चुकी है। इस बजट में उन्होंने ऐलान किया है कि फसलों में विविधता लाने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से सरकार छह साल का दलहन मिशन शुरू करने जा रही है, जिसमें विशेष रूप से अरहर, उड़द और मसूर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। भारत दालों का एक बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक है तथा वह अपनी खपत की कुछ जरूरतें आयात के माध्यम से पूरी करता है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 का बजट पेश करते हुए कहा कि उनकी सरकार अब दालों की इन तीन किस्मों पर विशेष ध्यान देते हुए छह साल का “दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन” शुरू करेगी। वित्त मंत्री ने कहा, “केन्द्रीय एजेंसियां (नेफेड और एनसीसीएफ) इन तीन दालों की खरीद के लिए तैयार रहेंगी, जो अगले चार वर्षों के दौरान उन किसानों से खरीदी जाएंगी जो इन एजेंसियों के साथ पंजीकरण कराते हैं और समझौते करते हैं।”
सरकार खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए पहले से ही राष्ट्रीय खाद्य तिलहन मिशन लागू कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि “हमारे किसानों में हमारी आवश्यकताओं के अनुरूप तथा उससे अधिक उत्पादन करने की क्षमता है।
उन्होंने नये मिशन की आवश्यकता को समझाते हुए कहा, “दस वर्ष पूर्व, हमने ठोस प्रयास किये और दालों के मामले में लगभग आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में सफल रहे। किसानों ने खेती के क्षेत्र में 50 प्रतिशत की वृद्धि करके इसकी आवश्यकता को पूरा किया तथा सरकार ने खरीद और लाभकारी मूल्यों की व्यवस्था की। तब से, बढ़ती आय और बेहतर सामर्थ्य के साथ, दालों की हमारी खपत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।”
भारत में मुख्य रूप से चना, मसूर, उड़द, काबुली चना और अरहर दालों का सेवन किया जाता है। किसानों को विभिन्न प्रोत्साहनों सहित अनेक उपायों के बावजूद, भारत अभी भी अपनी घरेलू आवश्यकताओं के लिए दालों के आयात पर निर्भर है। 2023-24 में दालों का आयात लगभग दोगुना होकर 3.74 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है।
दालों का एक महत्वपूर्ण उत्पादक होने के बावजूद, भारत का उत्पादन मांग के अनुरूप नहीं रहा है, जिसके कारण आयात में वृद्धि हुई है। आयात म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा और कुछ अफ्रीकी देशों से किया जाता है। भारत में दालों का उत्पादन 2015-16 के दौरान 16.3 मिलियन टन से बढ़कर 2023-24 के दौरान 24.5 मिलियन टन हो गया है, लेकिन इस बीच मांग भी बढ़ी है।
एक अन्य निर्णय में सरकार ने निर्णय लिया कि संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत केसीसी के माध्यम से लिए गए ऋण के लिए ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी जाएगी। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) मार्च 2024 तक 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों को अल्पावधि ऋण की सुविधा प्रदान करेगा। किसान क्रेडिट कार्ड योजना का उद्देश्य किसानों को पर्याप्त और समय पर ऋण उपलब्ध कराना है।