प्राकृतिक खेती में बड़ेई की महिलाओं की बड़ी कमाई
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गांव की लगभग 60 कनाल भूमि पर कर रही हैं प्राकृतिक खेती
हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक खेती में अग्रणी राज्य बनाने के लिए प्रयासरत मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिले हमीरपुर की कई महिलाएं भी प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए आगे आ रही हैं।
चबूतरा क्षेत्र के गांव बड़ेई की महिलाओं के एक स्वयं सहायता समूह ने रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों के बगैर ही गांव की लगभग 60 कनाल भूमि पर विशुद्ध रूप से प्राकृतिक खेती आरंभ करके सिर्फ जिला हमीरपुर ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के किसानों-बागवानों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
जहरीले रसायनों से मुक्त खेती की इस पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ये महिलाएं कई ऐसे पारंपरिक एवं पौष्टिक गुणों से भरपूर फसलें जैसे- कोदरा (मंढल), काली गेहूं और हल्दी इत्यादि भी उगा रही हैं जोकि लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई थीं।
गांव की प्रगतिशील महिला किसानों निम्मो देवी और कुसुम लता ने बताया कि कृषि विभाग की आतमा परियोजना के माध्यम से उन्होंने विशेष रूप से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद प्राकृतिक ढंग से खेती आरंभ करने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्हें देसी गाय और अन्य आवश्यक सामग्री की खरीद के लिए कृषि विभाग से सब्सिडी भी मिली। विभाग के अधिकारियों ने उन्हें विभिन्न फसलों, विशेषकर मोटे अनाज के बीज भी उपलब्ध करवाए।
निम्मो देवी ने बताया कि गांव की महिलाओं के राधेश्याम महिला स्वयं सहायता समूह ने पिछले सीजन में प्राकृतिक ढंग से कोदरे (मंढल) और मक्की की फसल उगाई तथा इनका लगभग 5 क्विंटल आटा बाजार में बेचा, जिससे उन्हें लगभग 45 हजार रुपये की आय हुई। अब इस सीजन में उन्होंने काली गेहूं उगाई है और इसके साथ ही मटर तथा सरसों भी लगाई है।
प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की और गेहूं की फसलों के लिए अलग से समर्थन मूल्य प्रदान करने के मुख्यमंत्री के फैसले की सराहना करते हुए निम्मो देवी कहती हैं कि इससे प्रदेश के किसानों का रुझान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ेगा तथा फसलों के अधिक दाम मिलने से उनकी आय में अच्छी-खासी वृद्धि होगी। उपभोक्ताओं को भी जहरमुक्त खाद्यान्न उपलब्ध होंगे।
राधेश्याम महिला स्वयं सहायता समूह की एक अन्य सदस्य कुसुम लता का कहना है कि प्राकृतिक खेती को अपनाकर किसान लगभग शून्य लागत में ही अपने खेतों से अच्छी पैदावार ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि गांव की महिलाएं प्राकृतिक खेती से ही हल्दी और कई अन्य फसलें भी उगा रही हैं, जिससे उन्हें काफी अच्छी आय हो रही है।