December 21, 2025

हमीरपुर निवासी सहायक प्रोफेसर निखिलेश ठाकुर ने बोस्टन मैराथन के लिए क्वालीफाई किया

रजनीश, हमीरपुर: चंडीगढ़ सेक्टर 10 के डीएवी महाविद्यालय में हमीरपुर निवासी सहायक प्रोफेसर और एनसीसी अधिकारी लेफ्टिनेंट डॉक्टर निखिलेश ठाकुर ने एक बार फिर अपनी अद्भुत शारीरिक और मानसिक ताकत का परिचय दिया है। उन्होंने हाल ही में दिल्ली में आयोजित 42.195 किलोमीटर की दौड़ को 3 घंटे 10 मिनट में पूरा करके 2026 में होने वाली विश्व प्रसिद्ध बोस्टन मैराथन के लिए क्वालीफाई कर लिया है। इस सफलता के बाद अब वह दुनिया भर से चयनित 30 हजार लोगों में शामिल हो जाएंगे, जो इंग्लैंड के बोस्टन में होने वाली इस प्रतिष्ठित दौड़ में भाग लेंगे। निखिलेश ठाकुर, 45-49 आयु वर्ग में मैराथन के लिए क्वालीफाई करने वाले ट्राई सिटी के एकमात्र अभ्यर्थी हैं। निखिलेश ठाकुर का दौड़ने का शौक केवल जुनून नहीं, बल्कि यह उनके जीवन जीने का तरीका बन चुका है। वह हर रोज़ सुबह तीन बजे उठकर दो घंटे तक दौड़ते हैं। उन्होंने चंडीगढ़ से शिमला तक का 113 किलोमीटर का सफर मात्र 13 घंटों में पूरा किया है और चंडीगढ़ से दिल्ली तक पैदल यात्रा भी की है। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि दौड़ना केवल शारीरिक सहनशक्ति की परीक्षा नहीं है, यह मानसिक शक्ति की भी परीक्षा है। युवा पीढ़ी को फिटनेस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करने के लिए मेरी यह यात्रा एक उदाहरण हो सकती है। निखिलेश का मानना है कि एक कठोर प्रशिक्षण और समर्पण के माध्यम से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उनका कहना है, “मेरी यात्रा अन्य एनसीसी अधिकारियों और कैडेटों को अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत पर ध्यान केंद्रित करने और अथक प्रयास के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। इसके साथ ही निखिलेश ने फिटनेस और आहार के महत्व पर भी जोर दिया। वह बाहर के खाने से सख्त परहेज करते हैं और केवल घर का बना खाना खाते हैं। मिठाइयों से दूर रहते हुए, अपने आहार में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों और हरी सब्जियों को प्राथमिकता देते हैं। उनका यह भी कहना है कि उचित नींद का शेड्यूल बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। युवाओं के लिए उनका संदेश स्पष्ट है: “अपनी फिटनेस और आहार दोनों पर ध्यान दें। किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनुशासित जीवनशैली महत्वपूर्ण है। यह सफलता न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। उनकी यात्रा निश्चित रूप से युवाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करेगी। निखिलेश के स्वर्गीय पिता देश राज पठानिया प्रिंसिपल थे । माता कुसुम भी प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत हुई हैं।

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