November 22, 2024

क्या भाजपा में फिर से शामिल होने की कोशिश में हैं सिद्धू दंपति?

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अमृतसर: राजनीति से अलग- थलग पड़े नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर ने भाजपा नेता तरनजीत सिंह संधू से भेंट कर राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। डॉ. नवजोत कौर ने अमृतसर में तरनजीत सिंह संधू के आवास पर उनसे भेंट की। इस दौरान सिद्धू दंपती की बेटी राबिया सिद्धू भी साथ थी।

जैसे ही तरनजीत सिंह संधू ने यह तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर अपलोड की, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मन में कई शंकाएं उत्पन्न होने लगीं। संधू ने लिखा ‘समुद्री हाउस में डॉ. नवजोत से मिलना और अमृतसर से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना एक सुखद अनुभव रहा।’

इधर, कांग्रेस व भाजपा के कुछ नेता दबे स्वर में कह रहे हैं कि सिद्धू दंपती एक बार फिर भाजपा में सम्मिलित होने के लिए प्रयासरत है। विशेष बात यह है कि तरनजीत सिंह संधू की भाजपा केंद्रीय हाईकमान में अच्छी पहुंच है।

नवजोत कौर सिद्धू का तरनजीत सिंह संधू से मिलना इस बात की ओर इंगित करता है कि सिद्धू दंपती भाजपा में सम्मिलित होने को लालायित है। 2004 में सिद्धू ने पहली बार अमृतसर संसदीय सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर कांग्रेस के कद्दावर नेता रघुनंदन लाल भाटिया को पराजित किया था।

नवजोत कौर सिद्धू ने राजनीतिक पारी की शुरूआत 2012 में की थी। भाजपा की टिकट पर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर जीत प्राप्त कर पहली बार विधायक बनीं। इसके पश्चात अकाली-भाजपा सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नवजोत सिद्धू का टिकट काट दिया और अरुण जेटली को चुनाव मैदान में उतारा। इस बात से सिद्धू काफी हतोत्साहित हुए व पार्टी के साथ उनका विरोध बढ़ता चला गया। हालांकि सिद्धू को राज्यसभा सदस्य बनाया गया था, पर उन्होंने 2016 में राज्यसभा एवं भाजपा से इस्तीफा दे दिया। 2017 में सिद्धू ने कांग्रेस ज्वाइन की और पार्टी ने उन्हें अमृतसर पूर्व विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा। सिद्धू जीते तथा कांग्रेस सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री के बनाए गए। सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच भ्रष्टाचार व प्रशासनिक मामलों में कई मतभेद उभरने लगे।

सिद्धू ने 2019 में मंत्री पद छोड़ दिया। 2021 में कांग्रेस ने सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष मनोनीत किया, पर सिद्धू-कैप्टन के बीच बढ़ी तल्खी के कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। कांग्रेस हाईकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया, पर चन्नी के साथ भी सिद्धू के मतभेद खुलकर सामने आने लगे। 2022 में पंजाब में सत्ता परिवर्तन हुआ। आम आदमी पार्टी की सरकार बनी। चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के कारण सिद्धू की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे थे।