धार्मिकता के साथ-साथ एकता, अखंडता व राम राज्य की स्पष्ट झलक
आखिर वह दिन आ ही गया जिसका भारत के लोग सदियों से इंतजार कर रहे थे। अयोध्या में नवनिर्मित मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के मंदिर में विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। इस उपलक्ष में पिछले कई दिनों से देश-विदेश में हर्षोल्लास के साथ झांकियां, प्रभात फेरियां निकाली जा रहीं है व मंदिरों में सजावट के साथ पूजा अर्चना की जा रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे विश्व में एक नए युग का आगाज हो रहा है। लोग स्वयं को भाग्यशाली मान रहे हैं कि उनके जीवन काल में यह सब देखने को मिल रहा है। लोगों में ऐसा उत्साह किसी अन्य घटनाक्रम पर शायद ही कभी देखने को मिला हो।
उच्चतम न्यायालय के सर्वसम्मत फैसले के कारण राम जन्म भूमि से जुड़े विवाद का पटाक्षेप होने के बाद मंदिर निर्माण की राह प्रशस्त हुई है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। मानव जीवन के लिए जो मर्यादाएं उन्होंने स्थापित की हैं वे कहीं अन्य देखने को नहीं मिलती। वर्तमान दौर में समूचे विश्व में मानव दिशा विहीन होकर जिस प्रकार अपने मार्ग से भटक गया है उसे सही राह पर लाने में राम चरित्र गाथाएं ही एकमात्र मार्ग है।
राम आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक वंचितों के उद्धारक है। वे निषाद राज के अभिन्न मित्र है, भीलनी, शबरी के जूठे बेर ग्रहण करने में संकोच नहीं करते। वे सुग्रीव को राज्य सौंप कर आगे बढ़ जाते हैं और विभीषण को लंका अधिपति बनाकर अयोध्या लौट आते हैं। वे चक्रवर्ती हैं किंतु विस्तारवाद का निषेध करते हैं। राम गिरिजनों, वनवासियों में समत्व और ममत्व का प्रदर्शन करते हैं। वर्तमान युग में राम का व्यक्तित्व हमारा आदर्श है। राम का कृतित्व हमारी आचार संहिता है।
राम के आदर्शों के स्थापना का कालखंड आरंभ हो गया है। यह उत्सव शुद्ध सनातन संस्कृति के पुनरोदय, पुनरुत्थान, पुनर्जागरण का है। मर्यादा जीवन का सबसे बड़ा गुण और अनुशासन है। इसके बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं। श्री राम की महानता और सर्वव्यापकता का कारण यही है राम एक जाति, पंथ या मजहब के नहीं बल्कि पूरी मानवता के हैं। उनका स्वभाव तो मानवता की रक्षा करना है जो सबसे बड़ा धर्म और कर्म है।इसलिए श्रीराम धर्म की प्रतिमूर्ति हैं।
राम भारतीय संस्कृति के आधार हैं। उनका चरित्र भारत का चरित्र है। यह चरित्र अगर विश्व अपना ले तो दुनिया शांति, सद्भाव और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ सकती है। इसलिए अपेक्षा की जानी चाहिए कि भविष्य में यह विश्व का चरित्र होना चाहिए। जीवन में दिव्यता लाने के लिए श्री राम का आचरण सर्वोत्तम रहा है। संस्कारों की उत्तम पाठशाला है जिसे पढ़कर जीवन का कोई पाठ शेष नहीं रहता।
अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर व प्राण प्रतिष्ठा के प्रति देश दुनिया में बसे भारतीयों का उत्साह यही प्रकट करता है कि राम चरित्र का अंश हमारे लहू में है। यही कारण है कि देश में सभी धर्मो, संप्रदायों, विचारों के लोग राम मंदिर को लेकर उत्साहित हैं। अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर देश जिस प्रकार राममय हुआ दिख रहा है उसमें धार्मिकता के साथ-साथ सामाजिक एकता, अखंडता व राम राज्य की झलक भी स्पष्ट नजर आ रही है।
