एलोवेरा: मनुष्य के लिए प्रकृति का वरदान
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प्रकृति द्वारा मनुष्य को उत्तम स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए जड़ी बूटियां के रूप में अनेकों उपहार दिए गए है जिनमें एलोवेरा भी एक है। संस्कृत में एलोवेरा को घृत कुमारी कहते हैं यानी की कुदरत का घी। एलोवेरा में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं जो कि हमारे शरीर को अनेक प्रकार से लाभ पहुंचाते हैं। एलोवेरा त्वचा की बीमारी या पेट की समस्याओं के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा भी एलोवेरा अनेकों बीमारियों से निजात पाने के लिए एक औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। एलोवेरा में आयुर्वेदिक औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो हमें बीमारियों को ठीक करने में सहायता करते हैं। आइए जानते हैं एलोवेरा के सेवन से क्या लाभ मिलता है और क्या नुकसान हो सकता है।
एलोवेरा क्या है
एलोवेरा एक छोटा पौधा होता है यह पौधा औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। इस पौधे की लंबाई 60 सेंटीमीटर से 1 मीटर तक हो सकती है। इसकी पत्तियां चौड़ी, एकदम हरी होती है। यह पकने के बाद सलेटी या कुछ प्रजातियों की हल्की गुलाबी हो जाती है। इसके किनारों के भाग पर आरी के जैसे कांटे उपस्थित होते हैं। एलोवेरा के भीतर के जैल को निकाल कर उपयोग में लाया जाता है। एलोवेरा में सभी प्रकार के विटामिन, मिनरल,अमीनो एसिड व अन्य खनिज पाए जाते हैं जो कि हमारी सेहत के लिए आवश्यक होते हैं।
एलोवेरा के अन्य नाम
जैसे संस्कृत में एलोवीरा को घृत कुमारी कहा जाता है वैसे ही अंग्रेजी में एलोवेरा तथा कॉमन एलोवेरा कहा जाता है।
हिंदी में एलोवेरा को घी ग्वार, ग्वार या ग्वारपाठा कहते हैं।
तेलुगु में इसे कल बंद नाम से जाना जाता है जबकि पंजाबी भाषा में कुरवा नाम से इसे पहचाना जाता है।
गुजराती भाषा में एलोविरा को कुवार तथा कड़वी कुंवर कहते हैं।
बंगाली में भी यह कृत कुमारी नाम से ही जाना जाता है जबकि मराठी भाषा में इसे कोरा फट्टा कहते हैं।
स्वाद
सामान्य तौर पर एलोवेरा हल्का खट्टा, हल्का मीठा या स्वाद रहित होता है। कड़वे स्वाद वाले एलोवेरा का उपयोग नहीं करना चाहिए।
एलोवेरा उपयोग करने के लाभ
एलोवेरा एक स्किन फ्रेंडली औषधि है व चमड़ी से संबंधित रोगों में यह विशेष लाभ देती है। इसके अलावा पेट के रोगों में भी एलोवेरा बहुत फायदेमंद साबित होता है। एलोवेरा खांसी जुकाम में भी असरदार काम करता है। इसके अलावा नियमित सर दर्द में भी यह फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए एलोवेरा जेल के साथ थोड़ी मात्रा में दारूहल्दी का चूर्ण मिलाकर इसे गर्म करके पीड़ा वाले जगह पर लगाया जाता है, जिससे जल्द आराम मिलता है। एलोवेरा कब्ज में भी फायदेमंद है। एलोवेरा पेट से संबंधित विकारों से छुटकारा दिलाता है। यह पेट में अल्सर को दूर करने के अलावा कब्ज आदि समस्याओं को भी दूर करता है। इसके लिए एलोवेरा के पत्ते को बीच से चीर कर गुदा यानी जैल को निकाल कर उसे खाने में इस्तेमाल किया जाता है। एलोवेरा आंखों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इसके लिए एलोवेरा के गुदे को निकालकर उसमें थोड़ी सी हल्दी को गर्म करके आंखों पर बांधने से आंखों पर होने वाली लालिमा और आंखों में होने वाली सूजन को कम किया जाता है। कान में दर्द होने की सूरत में एलोवेरा का जूस हल्का-हल्का गुनगुना करके दर्द वाले कान में दो बूंद डालने से लाभ मिलता है।
मुंहासे वाली परेशानी
चेहरे पर मुंहासे से होने वाली परेशानी में भी एलोवेरा जेल और पपीते के पेस्ट को मिलाकर चेहरे पर लगाने से मुंहासे से छुटकारा मिल जाता है। त्वचा पर सूजन या एशेज हो तो एलोवेरा का जैल इस्तेमाल करके निजात पाया जा सकता है। क्योंकि एलोवेरा स्किन के लिए एक बहुत ही लाभकारी आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जाना जाता है।
त्वचा रोग में फायदेमंद
जिनकी त्वचा में अगर किसी भी प्रकार की जलन है तो वह एलोवेरा जेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए रात के समय सोने से पहले पानी से अच्छे से मुंह धो लें तथा उसके बाद एलोवेरा जेल लगाकर उसके ऊपर से नारियल तेल लगा लें व रात भर लगा रहने दें। सुबह उठकर पानी से अच्छे से धो लें। यह जब तक जलन ठीक न हो जाए तब तक करें।
त्वचा में खुजली तथा चकते के लिए फायदेमंद
एलोवेरा ठंडक पहुंचाने के लिए काफी अच्छी गुणकारी औषधि माना जाता है इसके लिए एलोवेरा का जैल लगाने से खुजली व चकतों में आराम मिलता है
एलोवेरा के नुकसान
लगातार एलोवेरा का सेवन करने से शरीर की अंदर पेटेशियम की मात्रा अधिक हो जाती है लेकिन यह समस्या केवल जरुरत से अधिक सेवन करने से होती है।
एलोवेरा का इस्तेमाल कैसे करें
एलोवेरा का सेवन करने के लिए उसके पत्ती के बीच के हिस्से जिसे गुदा कहते हैं, का इस्तेमाल ही करना चाहिए। इसके लिए उसे निकालकर मिक्सी में पीसकर प्रयोग किया जा सकता है। एलोवेरा अधिक मात्रा में न पिएं व एक समय में लगभग 30-40 मिलीलीटर जैल ही उपयोग करना चाहिए। यह मात्रा दिन में दो बार ली जा सकती है। बेहतर परिणाम के लिए इसे खाना खाने से कम से कम आधा घंटा पहले लेना उचित रहता है।