February 5, 2025

स्वास्थ्य विभाग द्वारा हीट स्ट्रोक से बचाब के लिये जारी की गई एडवाइजरी

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रजनी, ऊना, मुख्य चिकित्सा अधिकारी ऊना डॉ संजीव कुमार वर्मा ने जिला ऊना की समस्त जनता के लिए गर्मी की मार ( हीट स्ट्रोक ) से बचाब के लिये एडवाइजरी जारी करते हुए बताया कि जिस प्रकार जिला ऊना का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच रहा है व जिस प्रकार जंगलों में आग लग रही है उससे तापमान बढ रहा है। इससे होने वाला हीट स्ट्रोक जानलेवा हो सकता है इसलिए हीट स्ट्रोक / लू लगने / गर्मी कि मार से बचाब के लिए इन लक्षणों के प्रति सचेत रहें :-
तेज सिर दर्द, शरीर का तापमान 104 डिग्री फार्नहाईट, जी मचलाना और उलटी होना, घवराहट होना, सिर चकराना, बेहोशी और चक्कर आना साँस का फूलना, दिल की धड़कन तेज होना, गर्म लाल और सूखी त्वचा I

हीट स्ट्रोक / लू लगने से बचाब के लिए सावधानी बरतें –
क्या करें :-
भरपूर पानी पीयें, चाहे आपको प्यास न भी हो I
जब भी यात्रा करें पानी साथ लेकर जाएँ I
ओ आर एस का प्रयोग करें। निम्बू पानी, लस्सी आदि लेते रहें ताकि शारीर में पानी की कमी न हो।
हल्के सूती व ढीले कपडे पहनें।
धूप में निकलने पर छाता, तौलिया, व टोपी का सिर ढकने के लिए प्रयोग करें।
धूप में जाते समय जूते चप्पल पहनकर निकलें।
दिन के समय धूप आने वाली जगह की खिड़कियाँ बंद रखें व पर्दा लगा कर रखें, रात के समय खिड़कियाँ खुली रखें।
सुरक्षित वातावरण बनाएं।
ठन्डे पानी से छींटे मारें।
पंखे का प्रयोग करें, रेडियो, टीवी व अख़बार के माध्यम से मौसम की भविष्यवाणी लेते रहें।

क्या न करें :-
जरूरत न हो तो बाहर न निकलें, विशेषकर दिन में 12 बजे से 4 बजे के बीच में।
भारी कार्य जैसे कसरत इत्यादि न करें।
शराब, चाय, कॉफ़ी, अत्यधिक मीठे पेय पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक गैस वाले पदार्थों का सेवन न करें।
धूप में बच्चों को न खेलने दें।
बासी खाना न खाएं I गर्मी की चरम सीमा में खाना न बनाएं।
धूप में बच्चों और पालतू जानवरों को गाड़ी में अकेला न छोड़ें।

गर्मी लगने पर प्राथमिक चिकित्सा के उपाय :-
मरीज को तुरंत अंदर या छाया में रखें।
पैरों को थोडा ऊँचा करके लिटायें।
पंखे का इस्तेमाल करके हवा के प्रवाह को तेज करें।
गीले कपडे से शरीर पौंछें या पानी से छिडकाव करें।
बेहोशी की हालत में खाने पीने को कुछ न दें। होश आने पर ठंडा पानी या तरल पदार्थ पीने को दें।
बेहोशी की हालत में अगर उल्टियाँ हो तो करवट के बल लिटायें।
गंभीर लक्षण होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएँ या एम्बुलेंस को कॉल करें।
अति संवेदनशील लोग :-
छोटे बच्चें, गर्भवती महिलाएं, बाहर काम करने वाले लोग, मानसिक रूप से अस्वस्थ व दिव्यांग व्यक्ति।