नालसा द्वारा निर्धारित नियमों और गाइडलाइन को पूरी तरह से लागू करने के लिए एक टीम भी बनाई
1 min readप्री-अरेस्ट, अरेस्टिंग और कोर्ट में पेशी के दौरान व्यक्तियों की सूचना उनके परिजनों और लीगल एड डिफेंस काउंसिल को जरूर दें। यह कदम उस व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि न्याय की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो। ये निर्देश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शैलजा गुप्ता ने आज एडीआर सेंटर में किशोर न्याय अधिनियम व पाॅक्सो एक्ट के संबंध में आयोजित बैठक में अधिकारियों को दिए। इस मौके पर डीएसपी सुरेश कुमार भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि नालसा द्वारा निर्धारित नियमों और गाइडलाइन को पूरी तरह से लागू करने के लिए एक टीम भी बनाई है इसमें लीगल एड डिफेंस काउंसिल के सदस्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हर थाना क्षेत्र में न केवल सही प्रक्रिया अपनाई जाए, बल्कि संबंधित व्यक्तियों की उचित तरीके से सहायता भी सुनिश्चित की जाए। इसके लिए सभी थानों में टीम के सदस्यों की सूची भी भेजी जा चुकी है, ताकि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की गिरफ्तारी या पेशी के समय सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जा सके। उन्होंने गिरफ्तारी से पूर्व, गिरफ्तारी, ट्रायल, रिमांड, अपील सहित सभी स्टेज पर जरूरतमंद लोगों को कानूनी सहायता उपलब्ध करवाने की विस्तार से जानकारी दी।
इस मौके पर संरक्षण अधिकारी एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी सरीता शर्मा ने घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 व बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अगर किसी को बाल विवाह की सूचना मिलती है तो बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी, पुलिस हेल्पलाईन नंबर 112, मैजिस्ट्रेट या चाइल्ड हेल्पलाईन नम्बर 1098 व 181 पर संपर्क कर सूचना दें सकते हैं। इसके अलावा जिला बाल संरक्षण इकाई कार्यालय से सुषमा यादव ने किशोर न्याय अधिनियम व पाॅक्सो एक्ट, समाज कल्याण विभाग से इन्वेस्टिगेटर गुरजीत सिंह व पवन ने समाज कल्याण विभाग की ओर से मिलने वाली पेंशन तथा राजगीर ने लेबर विभाग की ओर से मिलने वाली स्कीमों के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर वन स्टॉप सेंटर प्रशासक वंदना यादव ने वन स्टॉप सेंटर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अगर किसी महिला के साथ हिंसा होती है तो उसकी सूचना हेल्पलाइन नंबर 181 पर दें उसको तुरंत सहायता मुहैया करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि वन स्टाप सेंटर में एक ही छत के नीचे महिलाओं को निशुल्क विधिक परामर्श एवं अधिकतम पांच दिन आश्रय देने का प्रावधान है।
इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता अजय कुमार पांडेय, लीगल एड डिफेंस काउंसिल अधिवक्ता योगेश, पुलिस अधिकारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर, अध्यापक के अलावा अधिवक्ता व अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
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गिरफ्तारी-पूर्व चरण पर आपके अधिकार
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शैलजा गुप्ता ने बताया कि आपको यह जानने का अधिकार है कि पुलिस ने आपको पूछताछ के लिए क्यों बुलाया है। आपको यह जानने का अधिकार है कि पुलिस क्या सोचती है कि आपने क्या किया है। आपको उन प्रश्नों का उत्तर न देने का अधिकार है जो आत्म- दोषारोपण का प्रभाव रखते हैं। हालांकि, आपको अपना नाम, पता और पहचान का सटीक विवरण देना होगा। यदि पुलिस आपका साक्षात्कार लेती है तो आपको एक वकील को उपस्थित रखने का अधिकार है। आप निकटतम कानूनी सेवा प्राधिकरण से निशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
यदि आप बीमार हैं या घायल हैं तो आपको चिकित्सा सहायता पाने का अधिकार है।