एक निवेदन: हिमाचल प्रदेश में युवाओं में बढ़ती नशे की समस्या के समाधान हेतु कठोर कानून और डोप टेस्ट की अनिवार्यता हो
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सोलन, कमल जीत: एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के सभी सदस्य, सरंक्षक पूर्व मन्त्री हिमाचल प्रदेश मोहिंदर नाथ सोफत के नेतृत्व में, सरकार का ध्यान हिमाचल प्रदेश में युवाओं के बीच बढ़ती नशे की लत की ओर आकर्षित करना चाहते हैं। यह समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है, जहाँ न केवल युवा, बल्कि सरकारी कर्मचारी, अधिकारी, और महिलाएँ भी इस अवैध व्यापार में संलिप्त पाए जा रहे हैं। हाल ही में, एक डॉक्टर, तहसील कल्याण अधिकारी, पटवारी, और महिला वकील की संलिप्तता की खबरें सामने आई हैं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाती हैं।
हिमाचल प्रदेश में नशे की समस्या चिंताजनक स्तर पर पहुँच चुकी है। वर्ष 2024 में, राज्य पुलिस ने मादक पदार्थों से संबंधित 1,537 मामले दर्ज किए इसके अतिरिक्त, पिछले तीन वर्षों में नशे की लत के कारण 58 युवाओं की मृत्यु हुई है। यह दर्शाता है कि नशे की लत हमारे समाज के लिए एक गंभीर खतरा बन चुकी है।
सरकारी प्रयास
राज्य सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि विशेष टास्क फोर्स (STF) की स्थापना और “नशा मुक्त हिमाचल अभियान” का शुभारंभ। इसके बावजूद, नशे की लत और तस्करी की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं, जो दर्शाता है कि वर्तमान प्रयास पर्याप्त नहीं हैं।
इस गंभीर समस्या के समाधान हेतु, हम निम्नलिखित सुझाव प्रस्तुत करते हैं
डोप टेस्ट की
अनिवार्यता: सभी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस, सरकारी नौकरियों, और वाहन पंजीकरण के लिए डोप टेस्ट अनिवार्य किया जाए। यह कदम युवाओं में नशे की लत को रोकने में प्रभावी साबित होगा, क्योंकि उन्हें
पता होगा कि इन महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं के लिए
उन्हें डोप टेस्ट से गुजरना होगा।
पॉजिटिव मामलों
के लिए कानूनी कार्रवाई
डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए व्यक्तियों के लिए काउंसलिंग और कानूनी कार्रवाई की जाए। इससे न केवल उन्हें पुनर्वास का अवसर मिलेगा, बल्कि अन्य लोगों के लिए यह एक चेतावनी भी होगी। इस पहल का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि सभी युवा जागरूक हों और नशे से दूर रहें। स्कूलों कॉलेजों, और समुदायों में जागरूकता अभियान चलाए जाएँ, जिससे नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी फैलाई जा सके।
कठोर कानूनों का निर्माण और सख्त प्रवर्तन नशे के व्यापार में संलिप्त व्यक्तियों को कड़ी सजा देने के लिए कठोर कानूनों का निर्माण और सख्त प्रवर्तन सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता बढ़ाई जाए और उन्हें आवश्यक संसाधन प्रदान किए जाएँ।
हिमाचल प्रदेश सरकार इस संदर्भ में एक नया अधिनियम लागू करने जा रही है। अतः आपसे अनुरोध है कि सरकार को निर्देशित करें कि इस नए अधिनियम में डोप टेस्ट को एक अनिवार्य घटक के रूप में शामिल किया जाए। यह न केवल नशे की रोकथाम में सहायक होगा, बल्कि इससे युवाओं को अनुशासित जीवनशैली अपनाने की भी प्रेरणा मिलेगी।
यह समस्या अब एक सामाजिक बुराई का रूप ले चुकी है, जिसे केवल कठोर कानूनों और सख्त प्रवर्तन से ही नियंत्रित किया जा सकता है। डोप टेस्ट की अनिवार्यता और व्यापक जागरूकता अभियान से हम अपने युवाओं को इस घातक लत से बचा सकते हैं और हिमाचल प्रदेश को नशा मुक्त बना सकते हैं।
आशा है कि आप इन सुझावों पर गंभीरता से विचार करेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे।