सीबीएसई स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड’ के बाद अब लगेंगे ‘ऑयल बोर्ड’
1 min read
नई दिल्ली, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने बच्चों में बढ़ती मोटापे की समस्या और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली को लेकर एक और महत्वपूर्ण पहल की है। ‘शुगर बोर्ड’ की सफलता के बाद, अब सीबीएसई ने अपने सभी संबद्ध स्कूलों को ‘ऑयल बोर्ड’ लगाने का निर्देश दिया है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को खाद्य तेलों के अत्यधिक सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करना और एक स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना है। बुधवार को इस संबंध में सभी स्कूलों के लिए एक सर्कुलर जारी किया गया है, जिसमें स्कूल प्रमुखों और प्रिंसिपलों को विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
क्या है ‘ऑयल बोर्ड’ और क्यों पड़ी जरूरत?
‘ऑयल बोर्ड’ का मकसद बच्चों को यह समझाना है कि उनके भोजन में तेल की कितनी मात्रा होनी चाहिए और इसका अधिक उपयोग सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है। सीबीएसई ने यह फैसला बच्चों में मोटापे के चिंताजनक आंकड़ों को देखते हुए लिया है।
निर्देशों के अनुसार, स्कूलों को कॉमन एरिया जैसे कि कैंटीन, असेंबली हॉल और नोटिस बोर्ड पर डिजिटल और पोस्टर वाले बोर्ड लगाने होंगे। इन बोर्ड्स पर तस्वीरों और सरल भाषा में यह बताया जाएगा कि ज्यादा तला-भुना खाना सेहत को कैसे नुकसान पहुंचाता है।
सिर्फ ‘ऑयल बोर्ड’ ही नहीं, और भी कई निर्देश
बोर्ड ने मोटापे के खिलाफ लड़ाई को एक व्यापक अभियान बनाने का निर्देश दिया है, जिसके तहत कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएँगे। इस पहल के अंतर्गत, अब स्कूल के सभी सरकारी दस्तावेजों, जैसे लेटरहेड और नोटपैड पर, ‘स्वस्थ जीवनशैली’ से जुड़ा प्रेरक संदेश प्रिंट करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, छात्रों में शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए उन्हें लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का उपयोग करने और अधिक पैदल चलने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। अभियान का एक प्रमुख हिस्सा स्कूलों की कैंटीन में बदलाव लाना भी है, जहां जंक फूड की उपलब्धता कम करके पौष्टिक खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि छात्र स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम के महत्व को समझें।