December 22, 2025

पालमपुर में हिमाचल प्रदेश सह-पशु चिकित्सीय परिषद की क्षेत्रीय संगोष्ठी आयोजित

पशुपालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने किया शुभारंभ

पालमपुर, 14 मई :- कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रोफेसर चंद्र कुमार ने बुधवार को चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के सभागार में पशुपालन विभाग द्वारा
हिमाचल प्रदेश सह-पशु चिकित्सीय परिषद की एक दिवसीय क्षेत्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया।
संगोष्ठी में कृषि मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पशुपालकों की आजीविका को सुदृढ़ करने के लिए पशुपालन विभाग की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य पशुपालन सेवाओं को बेहतर बनाकर पशुपालकों की आजीविका में सुधार करना है। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग को और बेहतर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि वेटरनरी फार्मासिस्ट सीधे तौर पर किसानों से जुड़े हुए होते हैं जिनको वर्तमान परिदृश्य के अनुसार अपने कौशल को और बेहतर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वेटरनरी फार्मासिस्ट को रिफ्रेश कोर्स करवाए जाएंगे ताकि पशुपालकों को और बेहतर सुविधा उपलब्ध करवा सके। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए पशुधन भी एक आवश्यक संसाधन है।
चंद्र कुमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है और प्रदेश सरकार ने बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य को 45 से बढ़ाकर 51 तथा भैंस के दूध को 55 से बढ़ाकर 61 रूपये प्रति लीटर करने की घोषणा की है।उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिला के ढगवार में अढाई सौ करोड रुपए की लागत से दूध प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जिसमें प्रतिदिन डेढ़ लाख लीटर दूध प्रसंस्करण की सुविधा होगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशु जनगणना का कार्य पूर्ण कर लिया गया है और रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी गई है । उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश में लावारिस पशुओं की संख्या का भी पता लग सकेगा। उन्होंने कहा कि सड़कों से बेसहारा पशुओं को हटाने के लिए सरकार गंभीरता से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष गौशालाओं को पशुओं के भरण पोषण के लिए लगभग 70 करोड रुपए आवंटित किये गए हैं।
साथ ही उन्होंने कहा कि वेटरनरी फार्मासिस्टों द्वारा रखी गई मांगो पर विचार विमर्श किया जाएगा ।
संगोष्ठी में कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर और उना जिला से लगभग 300 वेटरनरी फार्मासिस्ट ने भाग लिया। सेमिनार में डॉ. आशीष शर्मा ने पैरावेट काउंसिल एक्ट 2010 और नियम 2011 के बारे में विस्तार से चर्चा की। डॉ. शमा खान ने “हाउ टू मेक आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन इफेक्टिव रिजल्ट ओरिएंटेड ऑन कैल्फ बॉर्न बेसिस” विषय पर अपने विचार रखे। डॉ. विनोद शर्मा ने “एनिमल मैनेजमेंट एंड न्यूट्रिशन फ्रॉम न्यू बॉर्न कैल्फ टू प्रेग्नेंट/लेक्टेटिंग काउज़” पर चर्चा की। डॉ. राजनिश भरोल ने कृषि विभाग द्वारा संचालित राज्य प्रायोजित योजनाओं और केंद्रीय योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
इससे पहले संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग डॉ अजय कुमार ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और संगोष्ठी की गतिविधियों की जानकारी दी।
संगोष्ठी में उपनिदेशक डॉ.मोहिंदर शामा, सीमा गुलेरिया, रजिस्ट्रार कृषि विश्वविद्यालय डॉ मधु चौधरी, पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय के डीन डॉ. एके पांडा, पशुपालन कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष जिला कांगड़ा अजय पांवडा सहित सह-पशु चिकित्सीय परिषद के सदस्य और चार जिलों के वेटरनरी फार्मासिस्ट मौजूद रहे।

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