क्या बार-बार आंखें धोना फायदेमंद है?
क्या बार-बार आंखें धोना फायदेमंद है?
जानिए डॉक्टरों की राय और आई हाइजीन की सही आदतें
आंखों को दिन में कई बार धोना एक आम आदत बन चुकी है, खासकर उन लोगों में जो लंबे समय तक स्क्रीन के सामने काम करते हैं। लेकिन क्या ये आदत वाकई आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद है? विशेषज्ञों का मानना है कि आंखों को बार-बार धोना जितना सहज लगता है, उतना सही नहीं होता।
जब हम आंखों को बार-बार पानी से धोते हैं, तो इससे उनकी प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली—जो आँसूओं के रूप में हर समय सक्रिय रहती है—प्रभावित हो सकती है। आंखों की ऊपरी परत पर मौजूद यह नमी और सुरक्षात्मक लेयर धूल, कीटाणुओं और एलर्जन से आंखों को सुरक्षित रखने में मदद करती है। बार-बार धोने से यह परत कमजोर हो सकती है, जिससे जलन, खुजली, रेडनेस और यहां तक कि इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है।
यह भी पढ़ें गर्मियों में रूटीन में ऐसे शामिल करें चमेली का तेल
इतना ही नहीं, यदि इस्तेमाल किया गया पानी साफ़ न हो या उसमें बैक्टीरिया मौजूद हो, तो यह आंखों के लिए और भी हानिकारक हो सकता है। ऐसे में आंखों की सफाई के लिए केवल धोना ही समाधान नहीं है।
आई हाइजीन के लिए सही आदतें क्या हैं?
अगर आप अपनी आंखों की सेहत बनाए रखना चाहते हैं, तो कुछ सरल लेकिन असरदार उपायों को अपनाना ज़रूरी है:
हाथ धोएं: आंखों को छूने से पहले हमेशा अपने हाथों को साबुन और साफ़ पानी से धोएं, खासकर अगर आप कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करते हैं।
आंखें न रगड़ें: आंखों को बार-बार रगड़ने से उनमें जलन और इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
व्यक्तिगत वस्तुएं साझा न करें: अपने तौलिए, रूमाल, आई-मेकअप, या कॉन्टैक्ट लेंस केस को किसी और के साथ शेयर न करें।
डिजिटल स्क्रीन ब्रेक: हर 20 मिनट पर स्क्रीन से नजरें हटाकर 20 सेकंड के लिए किसी दूर की चीज़ को देखें। इससे आंखों को आराम मिलेगा।
ठंडक के लिए प्राकृतिक उपाय: गर्मी के मौसम में आंखों को ठंडक पहुंचाने के लिए उन्हें बंद करके शांत जगह पर कुछ मिनट बैठना ज्यादा लाभदायक है, बजाय बार-बार धोने के।
आंखों की देखभाल में संतुलन जरूरी है। आंखों को बार-बार धोने के बजाय उनकी प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया पर भरोसा करें और सही हाइजीन आदतें अपनाएं। आपकी थोड़ी सी सावधानी न सिर्फ इंफेक्शन से बचा सकती है, बल्कि लंबे समय तक दृष्टि को भी सुरक्षित रख सकती है।
