बाल विकास परियोजना बनी पोषण, संरक्षण और सशक्त बचपन की पहचान
· करसोग क्षेत्र में 6750 लाभार्थी प्राप्त कर रहे संतुलित एवं पौष्टिक आहार
मंडी: हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले की सुरम्य घाटी करसोग, न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि सामाजिक विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। करसोग क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित बाल विकास परियोजना करसोग आज क्षेत्र के बच्चों और माताओं के लिए आशा की एक नई किरण बनकर उभरी है।
प्रदेश सरकार के प्रयास रंग लाने लगे हैं। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाएं अब ज़मीनी स्तर पर स्पष्ट रूप से प्रभाव दिखा रही हैं। इन प्रयासों का प्रभाव करसोग उपमंडल में भी नज़र आने लगा है, जहां बच्चों का बचपन अब अधिक सशक्त और सुरक्षित हो रहा है।
परियोजना के अंतर्गत करसोग में कुल 288 आंगनवाड़ी केंद्र सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। इनमें 266 आंगनबाड़ी केंद्र और 22 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इन केंद्रों के माध्यम से 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा धात्री माताओं को पोषाहार कार्यक्रम के अंतर्गत लाभ प्रदान किया जा रहा है।
वर्तमान में इन केंद्रों में 0 से 6 माह तक के 456 बच्चे, 6 माह से 3 वर्ष तक के 2554 बच्चे और 3 से 6 वर्ष तक के 3324 बच्चे तथा 872 माताएं, कुल 6750 लाभार्थी संतुलित एवं पौष्टिक आहार के साथ-साथ स्वास्थ्य परामर्श, टीकाकरण, वजन मापन और स्वास्थ्य परीक्षण जैसी सेवाओं का लाभ ले रहे हैं।
विभाग द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि पोषण केवल मात्रा में नहीं, बल्कि गुणवत्ता और स्वाद में भी संतुलित हो। इसके लिए प्रत्येक केंद्र में सप्ताह में छह दिन बदल-बदल कर विभिन्न प्रकार के व्यंजन नौनिहालों को परोसे जाते हैं। इनमें पुलाव, मीठा दलिया, मीठे चावल, नमकीन दलिया, हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, सेवियां, राजमाह चावल, चने, न्यूट्रीमिक्स और बिस्कुट आदि शामिल हैं। पौष्टिक व्यंजन बच्चों व माताओं को न सिर्फ पोषक तत्व प्रदान करते हैं, बल्कि भोजन में रुचि भी बनाए रखते हैं।
इस प्रयास से न केवल कुपोषण की स्थिति में कमी आई है, बल्कि माताएं भी घर पर इन्हीं व्यंजनों को अपनाकर पोषण के प्रति जागरूक हो रही हैं।
सीडीपीओ करसोग विपाशा भाटिया ने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि क्षेत्र का हर बच्चा और हर माँ स्वास्थ्य, पोषण और देखभाल की सुविधाओं तक पहुंचे। विभाग का प्रयास हैं कि हर गाँव, हर घर में पोषण की समझ और महत्व हो।
दीपा कुमारी, ग्रामीण महिला ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में मिलने वाले स्वादिष्ट और पोषणयुक्त पोषाहार के कारण उनका बच्चा अब पहले की तुलना में अधिक स्वस्थ और खुश रहता है। उसे मीठा दलिया और पुलाव बहुत पसंद है।
आंगनबाड़ी केंद्र न्यारा की कार्यकर्ता कुसुम का कहना हैं कि केंद्र में प्रतिदिन अलग रेसिपी से बच्चों और महिलाओं को पौष्टिक खाना परोसा जाता है और वे घर में भी वैसा ही खाना बनाना सीख रही हैं। यह बदलाव आने वाली पीढ़ियों को भी स्वस्थ बनाएगा।
करसोग के आंगनबाड़ी केंद्र न केवल पोषण का माध्यम बन रहे हैं, बल्कि शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक बदलाव की नींव भी रख रहे हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार के समर्पित प्रयासों और महिला एवं बाल विकास विभाग की सक्रिय भागीदारी से करसोग क्षेत्र के बच्चों का बचपन अब सशक्त, सुरक्षित और स्वस्थ बन रहा है।
