चिट्टे के खिलाफ अभियान को जनांदोलन नहीं बनाया तो प्रदेश बर्बाद हो जाएगा
शिमला पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी चिट्टा उन्मूलन के नज़ीर बने…
देहरा गोपीपुर, आज प्रदेश में रोजाना चिट्टा नशा से हो रही युवाओं की मौतों व उजड़ रहे परिवारों के प्रति पुलिस प्रशासन व आम आदमी लामबंद नहीं हुआ तो शांत व देव स्थान हिमाचल बर्बादी की कगार पर पहुंच सकता है।हर छोटे मोटे मुद्दे पर भी मीडिया की सुर्खी बनने को बेताब नेतागण और विपक्षी दलों के नेता भी आज क्यों खामोश हैं चिंता का सबब है,उनके लिए व आम जनता की नजर में एक सीख भरी कहाबत अर्ज है इसे गौर फरमाने की जरूरत है।हर दिन मीडिया की हैडलाइन यही होती है चिट्टे से युवाओं की मौत विलखता परिवार, घर का सामान तक बेच रहे हैं नशाखोर मगर जिन्हें बोलना चाहिए वो खामोश हैं मगर क्यों एक अजब रहस्य बनता जा रहा है याद रहना चाहिए पंजाब का युवा इस चिट्टे या नशे से इस कदर दहल गया है कि परिवारों ने इस माहौल से मुक्ति के लिए अपनी करोड़ों की भूमि तक बेच अपने बच्चों को विदेशों में बसा दिया है ।आज हालात यह बन गए हैं कि हर छोटी मोटी जगह या चौराहे पर 5 ग्राम ,10 ग्राम या 7 ,आठ कभी 25 ग्राम चिट्टे के साथ तस्कर पकड़े जा रहे हैं मगर इसके पीछे थोक चिट्टा व्यवसायी क्यों पहुंच से दूर हैं यह बड़ा सवाल है जिसका जवाब ढूंढना आज समय की सबसे बड़ी चुनौती है। इस गंभीर विषय पर हालांकि आम जनता को भी लामबंद होना होगा मगर सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमारे पुलिस प्रशासन की बनती है और इस कार्य मे अगर कोई समाज मे नज़ीर बनता है तो उसका सम्मान करना हमारा फर्ज बनता है और आज इस विषय पर प्रशंसनीय कार्य के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शिमला संजीव गांधी को सलाम तो बनता है क्योंकि चिट्टा आज ऐसा गंदा दीमक बन गया है जो हमारे प्रदेश के भविष्य युवाओं को निगल रहा है सैंकड़ों नहीं हजारों घरों को बर्बाद कर दिया है अगर समाज लामबंद नहीं हुआ और पुलिस प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा तो हर गली कूचों पर नशे के आगोश में लाशों का सिलसिला बहुत बढ़ जाएगा जिसकी कल्पना मात्र से मन घबराता है।
