हिमाचल विधानसभा में पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक
धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन विपक्ष भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर सदन में काम रोको प्रस्ताव लेकर आया। भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने मुख्यमंत्री कार्यालय, कांग्रेस नेताओं और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए। इस पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर तथा सत्ता पक्ष व विपक्ष के विधायकों के बीच कई बार तीखी नोंक झोंक हुई। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पीपीई किट घोटाले के बाद राजीव बिंदल को पद से कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। मगर पूर्व सरकार ने गलत आदमी को इस घोटाले में फंसाया और भाजपा अध्यक्ष के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी। हालांकि भ्रष्टाचार पर हुई चर्चा का विस्तृत जवाब कल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सदन में देंगे। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता में कांग्रेस सरकार को 2 साल हो गए हैं और अगर उनका आरोप सत्य है तो सरकार ने अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की?
विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव के बीच सदन में आज चार विधेयक भी पेश किए गए इनमें सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024, पुलिस संशोधन विधेयक 2024, पंचायती राज संशोधन विधेयक 2024 और प्रदेश भू जोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक 2024 को सदन में रखा गया।
भू जोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक सबसे महत्वपूर्ण बिल है जिसमें कांग्रेस सरकार राधा स्वामी सत्संग व्यास को राहत देने के लिए लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन करने जा रही है। इसी के साथ जुड़ा विधेयक राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सदन में पेश किया। इस पर परसों तक सदन में चर्चा होने की संभावना है। चर्चा के बाद सरकार इसे पारित कर पाएगी। बता दें कि हमीरपुर के भोटा अस्पताल की जमीन का मालिकाना हक उनकी ही सहयोगी संस्था महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी के नाम किया जाना है। इसके लिए लैंड सीलिंग एक्ट 1972 में संशोधन होना जरूरी है। धार्मिक संस्था डेरा ब्यास के पास प्रदेश में 6000 बीघा जमीन है। डेरा ब्यास को लैंड सीलिंग एक्ट में छूट शर्तों के साथ मिला है। यदि विधानसभा में यह बिल पास हो जाता है तो भी इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाना जरूरी है।
