“बटेंगे तो कटेंगे” के जवाब में “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” कितना कारगर?
हिमाल चन्द शर्मा, हरियाणा विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नारा दिया था “बटेंगे तो कटेंगे”। माना जाता है कि इस नारे ने हरियाणा में भाजपा की हारी हुई बाजी जीत में बदल दी थी। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ का यह नारा अब देश भर में जहां आम जनता के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है वहीं विपक्षी इंडी गठबंधन इस नारे का तोड़ निकालने में जुटा हुआ है। “बटेंगे तो कटेंगे” की गूंज अब उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनावों के साथ-साथ महाराष्ट्र व झारखंड के विधानसभा चुनाव में भी खूब गूंज रही है। भाजपा व सहयोगी दल इस नारे को ब्रह्मास्त्र की तरह प्रयोग कर रहे हैं। जबकि विपक्षी इंडी गठबंधन “बटेंगे तो कटेंगे” से बचाव की मुद्रा में दिख रहा है। भाजपा में इस नारे को इतना पसंद किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम के दौरान इससे मिलता-जुलता नारा दे दिया था। यही नहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भी “बटेंगे तो कटेंगे” पर व्याख्यान देते नजर आते हैं। समाचार चैनलों पर भी “बटेंगे तो कटेंगे” पर अक्सर चर्चाएं होने लगीं है। माना जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ के इस नारे ने जहां भाजपा को लोकसभा चुनावों में “अबकी बार 400 पार” न हो पाने के दर्द से मुक्ति ही नहीं दी है बल्कि उसमें एक नई शक्ति का संचार भी कर दिया है। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के कई महीनों बाद अब भाजपा रक्षात्मक से आक्रामक स्थिति में नजर आने लगी है। इस नारे से योगी आदित्यनाथ का कद भी पार्टी और पार्टी के बाहर पहले से और ऊंचा नजर आ रहा है।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और इंडी गठबंधन के अन्य नेता इस नारे का जवाब ढूंढने में जुटे हुए हैं। हालांकि अखिलेश यादव ने भी “बटेंगे तो कटेंगे” के जवाब में “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” नारा दिया है जो “बटेंगे तो कटेंगे” की काट करता नजर नहीं आ रहा है। उत्तर प्रदेश में जहां “बटेंगे तो कटेंगे” के होल्डिंग नजर आ रहे हैं वहीं “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” के होल्डिंग भी शहरों और गांवों में देखने को मिल रहे हैं। हालांकि “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” मतदाताओं पर कितना असर कर पाएगा यह आने वाला समय बताएगा, लेकिन यह स्पष्ट नजर आ रहा है कि “बटेंगे तो कटेंगे” अपना पूरा असर दिखा रहा है। समाचार यह भी है कि महाराष्ट्र में शरद पवार व उद्धव ठाकरे भी “बटेंगे तो कटेंगे” का जवाब ढूंढने के लिए बैठकें कर चुके हैं लेकिन अभी तक उन्हें भी इस नारे के जवाब में कोई हमलावर नारा नहीं सूझ पाया है। क्योंकि महाराष्ट्र में भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार इस नारे पर बैठकर दनदनाते फिर रहे हैं। अगर इस नारे का कोई तोड़ नहीं निकला तो यह नारा कई प्रदेशों में राजनीति की दिशा- दशा बदलने में कारगर सिद्ध हो सकता है। तीन माह बाद दिल्ली सहित कुछ और प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने में है और अगर महाराष्ट्र, झारखंड व उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में यह नारा असर देता है तो कई विपक्षी दलों व नेताओं के लिए राजनीतिक सदमे का कारण बनेगा।
