March 13, 2025

मनरेगा के 58470 कामगारों को 3 माह से नहीं मिल पाई मजदूरी

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जिले में 28000 कार्य दिवस के स्थान पर रह गए 11000 कार्य दिवस
पंचायत कर्मचारियों को जिलाधीश के आदेश
मनरेगा के कार्यों के मस्टरोल करें जारी अन्यथा होगी कार्यवाही

अजय कुमार बंगाणा

जिले के 58470 कामगारों को 3 मार्च से मनरेगा की दिहाड़ी नहीं मिल पाई है। मजदूरी नहीं मिलने से इन कामगारों को घर का चूल्हा जलाना मुश्किल हो गया है। पिछले 5 माह से देश की बहुआयामी योजना मनरेगा के लिए बजट जारी नहीं हो पाया है।49495 मनरेगा के मजदूर व 8975 मनरेगा के मिस्त्री मनरेगा में किए कार्यों के पैसों के लिए 3 महीनों से बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। जिले के विकास खंडों में मनरेगा के मजदूरों की मजदूरी व मटेरियल का पिछले 5 माह से अभी तक भुगतान नहीं हो पाया है। जबकि सरकार के मनरेगा नियमों के मुताबिक अगर मनरेगा में कार्य करने वाले किसी भी मजदूरी की मजदूरी उसके खाते में 15 दिन के भीतर नहीं पहुंचती है तो संबंधित अधिकारी व कर्मचारी पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है लेकिन जिले में इस बार तो 3 माह से मनरेगा की दिहाड़ीदारों को मजदूरी नहीं मिल पाई है। अप्रैल माह में जिले में 11,000 कार्य दिवस ही मनरेगा के दर्ज किए गए हैं जबकि अप्रैल माह में 28000 कार्य दिवस का मनरेगा मजदूरों द्वारा कार्य किया जाना था। मनरेगा के मजदूरों को काम नहीं मिलने के कारण जिलाधीश ने कड़ा संज्ञान लेते हुए जिले की सभी पंचायतों के संबंधित कर्मचारियों को आदेश पारित कर दिए हैं कि मनरेगा के मास्टररोल सभी पंचायतों में जारी किए जाएं अन्यथा अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। बताया जा रहा है कि मनरेगा के कार्यों में मजदूरों की कमी का एक मुख्य कारण ऑनलाइन ऐप पर मजदूरों की हाजिरी लगाया जाना भी है। पंचायत कर्मचारियों की कमी के कारण ऑनलाइन ऐप पर मनरेगा के मजदूरों की हाजिरी ही नहीं लग पा रही हैं। दूसरी तरफ मनरेगा के मजदूरों को समय रहते वेतन नहीं मिल रहा है। कई बार तो मनरेगा मजदूर काम के चक्कर में पंचायतों के चक्कर काटते देखे जा सकते हैं। केंद्र सरकार की बहुआयामी योजना मनरेगा जिला ऊना में संकट पर पड़ती दिख रही है। इस समय विकास खंड बंगाणा को 313 करोड रुपए की देनदारी पिछले 5 माह से खड़ी हो गई है। विकास खंड में मनरेगा के अधीन होने वाले कच्चे-पक्के विकास कार्यों के अनुपात में संपूर्ण विकास खंड का बजट ही बिगाड़ कर रख दिया है। मनरेगा में किए जाने वाले विकास कार्यों के लिए केंद्र सरकार ने 40 फ़ीसदी मटेरियल के लिए व 60 फ़ीसदी लेबर को दिए जाने का प्रावधान किया गया है जबकि विकास खंड में इसके उलट नियमों को दरकिनार करके पक्के कार्य ही कर दिए गए हैं। इस संबंध में खंड विकास अधिकारी सुरेंद्र जेटली ने कहा कि बजट में विलंब होने से मजदूरों की मजदूरी व मटेरियल की देनदारी अटकी है। बजट का प्रावधान होते ही मजदूरों के खातों में पैसे पहुंच जाएंगे।