चंडीगढ़ के व्यापारियों को झटका, लीज संपत्तियों पर नहीं हो सकता फ्री होल्ड
चंडीगढ़ : चंडीगढ़ के सबसे अहम मुद्दों में से एक लीज़ होल्ड सम्पति को फ्री होल्ड करने का मामला फिर तूल पकड़ चुका है। इसी मामले में जो फ्री होल्ड की मांग चल रही थी उस मांग को गृह मंत्रालय ने बाकायदा उच्चतम न्यायलय में हलफनामा देकर सिरे से नकार दिया है। ये हलफनामा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की ओर से दायर, सम्पदा कार्यलय चंडीगढ़ वरसेज चरणजीत कौर के केस में दिया गया है। इसमें याची चरणजीत कौर उच्चतम न्यायलय में पहले से उपरोक्त विषय में केस दायर कर चुकी थी। मंत्रालय ने अपने इंकार के स्पष्टीकरण का संदर्भ अमेंडमेन्ट ऑफ़ कैपिटल ऑफ़ पंजाब एक्ट( डेवलपमेंट 3 रेगुलेशन ) 1952 दिया है। इसमें स्पष्ट रूप से दजऱ् है कि चंडीगढ़ में इंडस्ट्रीयल व कॉमर्शियल बिल्डिंगस का अतिरिक्त उपएग, अवैध निर्माण, अवैध अतिक्रमण की परमिशन नहीं है ऐसा होने पर जुर्माने का प्रावधान भी है कई मामलों में तो बिल्डिंग तक सील हो चुकी है।
चंडीगढ़ की 70 फीसद से अधिक कमर्शियल और इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी लीज होल्ड बेस पर है। इसमें एस्टेट ऑफिस, नगर निगम और चंडीगढ़ हाउसिग बोर्ड की प्रॉपर्टी शामिल है। अधिकतर प्रापर्टी 99 सालों के लिए लीज पर है। पिछले 37 सालों से प्रॉपर्टी ट्रांसफर का इंतजार है।
ऐसे समझें मामला
चंडीगढ़ में जी भी प्रापर्टी लीज होल्ड पर अलॉट की जाती है उस पर प्रीमियम के अलावा पहले 33 साल के लिए ढ़ाई फीसद उसके अगले 33 साल 3.75 फीसद और अगले 33 साल पांच फीसद प्रति वर्ष लीज मनी ली जाती है। इस तरह प्रशासन प्रापर्टी की कीमत के साथ-साथ अलाटमेंट के 99 साल तक प्रापर्टी की लीज वसूल करेगा। इसके बाद प्रापर्टी फ्री होगी। व्यापारियों की मांग है कि प्रशासन इन 99 वर्षों में ली जाने वाली लीज मनी को एक बार में ही लेकर मामला खत्म करे और प्रापर्टी को फ्री होल्ड कर दे। प्रशासन को जो पैसा आगामी 99 सालों में किस्तों में मिलने वाला है उसको अलॉटी आज ही एकसाथ देने को तैयार हैं, तो लीज मनी के पूरे पैसे मिल जाने पर प्रशासन की तरफ से भी उस प्रापर्टी को फ्री होल्ड कर दिया जाना चाहिए। ऐसा करने से प्रशासन को कोई रेवेन्यू लॉस नहीं होगा, जबकि जो पैसा 100 साल में किस्तों में मिलना था वह एकसाथ मिल जाएगा। इससे प्रशासन को तो फायदा और प्रापर्टी मालिक को भी राहत मिलेगी।
क्या कहना है व्यापारी वर्ग का
इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ चंडीगढ़ पहले से ही इस केस में पार्टी बनने की याचिका डाल चुका है जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। चंडीगढ़ में औद्योगिक संपत्तियों को लीज होल्ड से फ्री होल्ड मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही सख्ती दिखा चुका है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ के तत्कालीन प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल को आदेश दिया था वह इस मुद्दे को गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठकर 29 अगस्त तक सुलझा लें नहीं तो उनको और गृह मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव आशुतोष अग्निहोत्री को पेश होना पड़ेगा। इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ चंडीगढ़ ने भी एसोसिएशन के पदाधिकारियों की यह दलील काम आ गई थी कि वह इस केस में पार्टी इसलिए बने हैं ताकि उन्हें इंसाफ मिल सके। औद्योगिक संपत्तियों को लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने का मुद्दा काफी समय से लंबित है, जिसकी वजह से उद्योगपतियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
