फ़रिश्ते योजना के तहत, सडक़ दुर्घटना पीडि़तों को अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति को 2000 रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा: डा. बलबीर सिंह
चंडीगढ़, 22 जनवरी:
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की प्रमुख ‘फ़रिश्ते योजना’, जिसके तहत सडक़ दुर्घटना पीडि़तों का मुफ्त इलाज किया जाएगा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डा. बलबीर सिंह ने सोमवार को सभी प्राईवेट अस्पतालों को इस लोक-पक्षीय योजना के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा, ताकि सडक़ हादसों के शिकार लोगों की कीमती जान बचाई जा सके।उन्होंने कहा, “हम सडक़ दुर्घटना पीडि़तों के बहुमूल्य जीवन को बचाने के लिए ‘गोल्डन आर’ का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहते है और पंजाब सरकार राष्ट्रीय, जाति या सामाजिक-आर्थिक भेदभाव के बिना सभी सडक़ दुर्घटना पीडि़तों को प्राईवेट अस्पतालों में मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया जाएगा।गौरतलब है कि ‘गोल्डन आर’ सडक़ दुर्घटना के बाद का पहला महत्वपूर्ण घंटा होता है, इस दौरान अगर गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को उचित देखभाल मिले तो उसके बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है।डा. बलबीर सिंह ने निजी स्वास्थ्य संस्थानों से समर्थन की आवश्यकता पर जोर देते हुए, राज्य भर के अस्पतालों, विशेष तौर पर प्राईमरी और सकैंडरी देखभाल प्रदान करने वाले अस्पतालों से कीमती जीवन बचाने के लिए इस योजना में शामिल होने की अपील की। उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध अस्पतालों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा परिभाषित एचबीपी 2.2 पैकेज दरों के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा। राज्य स्वास्थ्य एजेंसी ने सडक़ दुर्घटना पीडि़तों के इलाज के लिए 52 पैकेजों की पहचान की है।बता दें कि इंडियन मैडीकल एसोसिएशन (आई.एम.ए.) पंजाब पहले ही इस योजना का हिस्सा बनकर इस नेक काम का समर्थन कर चुका है। स्वास्थ्य मंत्री ने अन्य अस्पतालों को भी आगे आकर इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा । उन्होंने रजिस्ट्रेशन संबंधी किसी भी प्रश्न के लिए उन्हें अपने संबंधित जिले के सिविल सर्जन से संपर्क करने की सलाह दी।बलबीर सिंह ने कहा, ”अब तक राज्य में 384 अस्पतालों को फ़रिश्ते योजना के तहत रजिस्टर्ड किया गया है, जिनमें से 146 सरकारी अस्पताल और 238 निजी अस्पताल है।स्वास्थ्य मंत्री ने आगामी प्राइम एंजेल योजना के बारे में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि सडक़ दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति को 2000 रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक सडक़ दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने वाला से पुलिस द्वारा कोई पूछताछ नहीं की जाएगी जब तक चश्मदीद गवाह बनने की इच्छा नहीं जताता ।विशेष रूप से, यह योजना विभिन्न मामलों में जारी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप है, जिसमें जनता से दुर्घटना पीडि़तों को निकटतम सरकारी या सूचीबद्ध प्राईवेट अस्पतालों में लाने का आग्रह किया गया है।
