कृष्ण जन्मोत्सव पर झूमकर नाचे श्रद्धालु
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संजीव डोगरा, दौलतपुर चौंक,2 नवंबर, गगरेट विधानसभा क्षेत्र के दौलतपुर चौंक के माता कुहा देवी मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। भागवत कथा में भगवान के जन्मोत्सव को लेकर मंच को फूलों और गुब्बारों से विशेष रूप से सजावट की गई।इस विशेष दिन को लेकर श्रद्धालुओं की अच्छी भीड़ रही। कथावाचक भक्ति प्रसाद गिरी जी ने भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा सुनाते हुए कहा कि बाल गोपाल का जन्म देवकी और वासुदेव के आठवें संतान के रूप में होता है। उन्होंने कहा कि देवकी और वासुदेव का अर्थ समझाते हुए कहा कि देवकी यानी जो देवताओं की होकर जीवन जीती है और वासुदेव का अर्थ है जिसमें देव तत्व का वास हो। ऐसे व्यक्ति अगर विपरीत परिस्थितियों में बेड़ियों में भी क्यों न जकड़े हो, भगवान को खोजने के लिए उन्हें कहीं जाना नहीं पड़ता है, बल्कि भगवान स्वयं आकर उसकी सारी बेड़ी-हथकड़ी को काटकर उसे संसार से मुक्त करा दिया करते हैं।
उन्होंने बताया कि हर मनुष्य के जीवन में छः शत्रु हैं।काम, क्रोध,मद,लोभ,मोह और अंहकार। उन्होंने कहा कि जब हमारे अंदर के ये छह शत्रु समाप्त हो जाते हैं तो सातवें संतान के रूप में शेष जी जो काल के प्रतीक हैं वो काल फिर मनुष्य जीवन में आना भी चाहे तो भगवान अपने योगमाया से उस काल का रास्ता बदल देते हैं। उन्होंने कहा कि तब आंठवे संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण का अवतार होता है। जिसके जीवन में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति आ गई तो ऐसा समझना चाहिए कि जीवन सफल हो गया। कथा के बीच में भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की आकर्षक झांकी भी प्रस्तुत की गई।श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के मौके पर भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे।इस अवसर पर कथावाचक ने एकादशी व्रत का महत्व भी बताया। कथावाचक ने कहा कि एकादशी व्रत सबसे पवित्र व्रत है।इस व्रत को करने से जीवन की सभी समस्याओं का निराकरण होता है। उन्होंने कहा कि जीवन में अच्छे भावों का होना आवश्यक है। जैसा भाव जैसा कल्याण होता है। उन्होंने कहा कि कथा विश्राम के उपरांत 6 नवम्बर को भगवान जगन्नाथ पुरी जी की विशाल शोभायात्रा का आयोजन भी किया जा रहा है जिसमें 1008 जोतें जलाकर विशेष आरती भी की जाएगी।