जब संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहली बार गूंजी थी हिंदी
पूरी दुनिया को एक परिवार समझने वाली ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना हिंदी भाषा की सोच का हिस्सा है। इसी भावना के साथ अपनी वाकपटुता के लिए मशहूर तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 4 अक्टूबर 1977 को पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को राजभाषा हिंदी में संबोधित किया था। इस ऐतिहासिक भाषण से उन्होंने गहरी छाप छोड़ी थी। सम्मान में सभी देशों के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर तालियों से उनका स्वागत किया था। उन्होंने 1977 से 2003 तक विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर सात बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। अटल बिहारी वाजपेयी की उस परंपरा को जारी रख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिंदी में ही संयुक्त राष्ट्र महासभा को करते रहे हैं संबोधित…… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हिंदी के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ है। वह प्रवासी भारतीय समुदाय से भी नियमित हिंदी में संवाद करते हैं। विदेश मंत्री रहते सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी समाचार बुलेटिन शुरू कराया। हिंदी टि्वटर अकाउंट खोलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 10 जून, 2022 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सभी कामकाज और जरूरी सूचनाएं 6 आधिकारिक भाषाओं के अलावा हिंदी में भी जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। अनेक देशों में, लगभग 175 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। विश्व भर में करीब 80 करोड़ से अधिक लोग हिंदी बोलते हैं। यह केवल भारत के करीब 45% आबादी की भाषा नहीं है बल्कि दुनियाभर में बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है।
