भारत केवल एक देश ही नहीं, लेकिन एक ऐसी सोच है जो पूरी दुनिया को बदलने का दम रखती है
भारत केवल एक देश ही नहीं, लेकिन एक ऐसी सोच है जो पूरी दुनिया को बदलने का दम रखती है। विकसित भारत बनने के लिए भारत देश के हर एक नागरिक को शिक्षित करना होगा। कोई भी नागरिक अशिक्षित ना रहे सुचारू रूप से शिक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाएं चलती रहे कोई भी बेरोजगार ना रहे हर किसी को रोजगार मिले।भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करना होगा, औद्योगिकरण विज्ञान एवं अनुसंधान में नए सिद्धांत और आयाम स्थापित करने होंगे तभी हम साल 2047 तक विकसित भारत का निर्माण कर पाएंगे।
गुलामी के हर एक अंश को मिटाना होगा चाहे वह हमारे मन में हो, चाहे वह हमारे देश में हो। हर जगह से हमें गुलाबी की जंजीरों से मुक्त होना होगा। भारत अपने नए सिद्धांत महात्मा गांधी जी ने एक बार कहा था कि अंग्रेजों से हम आजादी तो ले लेंगे, लेकिन हमें उनके आदर्शों उनकी सोच और उनके ही सिद्धांतों पर चलना होगा और आज तक हम उनकी ही इस सोच के साथ बंधे हुए हैं। आज भी हम भारतीय सभ्यता को ठीक तरह से नहीं नहीं जानते हैं और ना ही अपना पाते हैं।हम भारतीय इस कदर पाश्चात्य सभ्यता से जुड़े हुए हैं कि हम जन्मदिन भी मनाते हैं तो केक काटते हैं जो कि पाश्चात्य सभ्यता का ही एक उदाहरण है। गुलामी की जंजीरों से हम यहीं तक नहीं बंधे हुए हैं ब्रिटिश शासन काल से ही भारत में रेलवे बजट लाया जाता है। लेकिन भारत सरकार ने इस रेलवे बजट को आम बजट में सम्मिलित किया। यह भी हमारी एक नई पहल है।ब्रिटिश काल से ही बाघा बॉर्डर पर सैनिकों के द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के धन को बजाया जाता था। लेकिन भारत ने उसे भी बदला उसे भारतीय सभ्यता के साथ जोड़ा।
हमें अपनी भारतीय विरासत पर गर्व होना चाहिए। विरासत यहां पर तीन प्रकार की है। प्राकृतिक सांस्कृतिक और मिश्रित प्राकृतिक रूप से अगर बात करें तो इसमें हमारे नदियां, झरने ,पहाड़, पर्वत श्रृंखलाएं सांस्कृतिक विरासत में लोक गीत ,लोक नृत्य ,लोक कला आदि। भारत विविधताओं का देश है। यहां पर हर जाति धर्म पंथ के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। होली ईद दीवाली मिलकर मनाते हैं और सभी ने मिलकर ही अंग्रेजो और मुगलों के साथ लड़कर भारत को आजाद करवाया था।
नागरिक कर्तव्य में अगर बात करें तो भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह अपने देश की संपत्ति का और देश के शहीदों का उन बलिदानों का उन महान विभूतियों का सम्मान करें जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर। किए हैं। देश का प्रधानमंत्री और राज्य का मुख्यमंत्री भी इन कर्तव्य से बाहर नहीं है।
