युवाओं के लिए प्रेरणादायक है भगत सिंह से जुड़े किस्से: सतीश मेहरा
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शहीदे आजम सरदार भगत सिंह के पौत्र सरदार बाब्बर सिंह जो फरीदाबाद में शहीद ए आजम भगत सिंह जर्नलिज्म इंस्टीट्यूट चलाते थे। माननीय बाब्बर सिंह मेरे बहुत ही करीबी मित्र थे। उनकी इस इंस्टीट्यूट से मैंने 1996 में जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया था। यह इंस्टीट्यूट भारतीय विद्या भवन मुंबई से एफिलिएटिड है, जो आज भी बाब्बर सिंह के बेटे यादवेंद्र संधू चला रहे हैं। हजारों की संख्या में इस इंस्टीट्यूट से बच्चों ने जर्नलिज्म कर पत्रकारिता के क्षेत्र में नाम कमाया है। मैं अक्सर सरदार बाब्बर सिंह जी से मिलता था। बब्बर सिंह मेरे पास कार्यालय में भी आते थे और मेरा उनके घर एन आई टी फरीदाबाद में आना जाना था। वह अपनी दादी शहीदे आजम भगत सिंह की माता श्रीमती विद्यावती कौर से सुने हुए सरदार भगत सिंह के किस्सों को बताते थे। सरदार भगत सिंह में राष्ट्रभक्ति, देशभक्ति और देश को आजाद करवाने का कितना जज्बा और जुनून था। उनके सुने हुए किस्सों से रोंगटे खड़े हो जाते थे। उनके ये किस्से सुनकर मन में यह भाव आता था कि हम भी उसी दौर की पीढ़ी में शामिल होते और देश के लिए कुछ कर पाते। शहीद ए आजम भगत सिंह के बलिदान व संघर्ष से प्रेरणा पाकर आज भी हम देश की एकता अखंडता और सामाजिक सद्भाव के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। इस दिशा में और आगे बढ़ने की जरूरत है, जिससे भारतवर्ष सुदृढ़ होगा और निरंतर प्रगति करेगा ।
इन्हीं शब्दों के साथ में शहीद ए आजम सरदार भगत सिंह को उनकी जन्म जयंती के अवसर पर शत-शत नमन करता हूं। वर्तमान युवा पीढ़ी को चाहिए कि वे सरदार भगत सिंह के भारत निर्माण के सपनों को पूरा करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।