October 18, 2024

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तख़्त श्री केसगढ़ साहिब में माथा टेका

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राज घई] श्री आनन्दपुर साहिब,
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तख़्त श्री केसगढ़ साहिब में माथा टेका और होला महल्ले के रिवायती त्योहार की शुरुआत के मौके पर करवाए समागमों में शमूलियत की। मुख्यमंत्री ने राज्य में अमन-शांति, तरक्की और खुशहाली के लिए परमात्मा के आगे अरदास की। उन्होंने यह भी कामना की कि राज्य में भाईचारक सांझ बरकरार रहे और पंजाब हर क्षेत्र में देश का नेतृत्व करे। भगवंत मान ने कहा कि यह त्योहार जो आम तौर पर पंजाबियों और ख़ास तौर पर सिख कौम की जुझारू भावना का प्रतीक है, के शुरुआती समागम में शामिल होने पर वह अपने आप खुशकिस्मत समझते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनको इस पवित्र नगरी श्री आनन्दपुर साहिब में माथा टेकने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जिसकी स्थापना नौवें गुरू श्री गुरु तेग़ बहादुर जी ने साल 1665 में से थी, जिन्होंने मानवीय मूल्यों और अधिकारों की रक्षा करने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह पवित्र स्थान ख़ालसे की जन्म भूमि भी है क्योंकि साल 1699 में सिखों के दसवें गुरू श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने वैसाखी के ऐतिहासिक दिवस पर इस पवित्र धरती पर खालसा पंथ की नींव रखी थी। भगवंत मान ने कहा कि इस पवित्र धरती ने हमेशा ही पंजाबियों को ज़ुल्म और बेइन्साफ़ी के विरुद्ध लडऩे के लिए प्रेरित किया है।
इस मौके पर अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री आनन्दपुर साहिब की पवित्र धरती पर इस त्योहार के मौके पर अलग-अलग वर्गों के लोग भारी संख्या में माथा टेकने के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि होले महल्ले के दौरान पवित्र नगरी में आने वाली संगतां के लिए विश्व स्तरीय और पुख़ता प्रबंधों को यकीनी बनाने के लिए पंजाब सरकार पूरी तरह वचनबद्ध है। भगवंत मान ने कहा कि हर साल श्रद्धालु इस रिवायती त्योहार को एकता, सहनशीलता, भाईचारक सांझ के रंगों के साथ मनाते हैं। मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं के लिए ट्रैफिक़ व्यवस्था, वाहनों की पार्किंग, सुरक्षा प्रबंधों, रहन-सहन और अन्य सहूलतों के लिए विस्तृत प्रबंधों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने अधिकारियों को यह भी यकीनी बनाने के लिए कहा कि इस पवित्र धरती पर माथा टेकने के लिए आने वाली संगतों की सुविधा के लिए कोई कसर बाकी न छोड़ी जाये।
भगवंत मान ने लोगों को धर्म निरपेक्षता और सहनशीलता की भावनाओं को दिखाने के लिए जाति, रंग, नस्ल और धर्म के भेदभाव से ऊपर उठ कर इस महान समागम को सामूहिक तौर पर पूरे उत्साह के साथ मनाने का न्योता दिया।

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