December 24, 2025

 पैनलिस्टों द्वारा ऐतिहासिक स्थानों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सोशल मीडिया के प्रयोग पर ज़ोर  

आने वाली पीढिय़ों के लिए विरासती स्मारकों की देखभाल पर भी दिया ज़ोर  
 एस.ए.एस. नगर, 11 सितम्बर:
 यहाँ एमिटी यूनिवर्सिटी में करवाए गए अपनी किस्म के पहले ‘टूरिस्ट समिट और ट्रैवल मार्ट’ के पहले दिन संरक्षण और विरासती क्षेत्रों के पैनलिस्टों ने पंजाब में विरासती पर्यटन के बारे में गहराई से विचार-चर्चा की।  
 
 इस विचार-चर्चा की शुरुआत करते हुए बुनियादी ढांचा विकास और आर्थिक सुधार कौंसिल (सी.आई.डी.आर.) के चेयरमैन डॉ. अनिरुद्ध गुप्ता ने कहा कि पंजाब ने विरासत और सभ्याचार के लिहाज़ से बहुत प्रस्तुतियाँ पेश की हैं, परन्तु पिछले 7 दशकों के दौरान इस सामथ्र्य का सही प्रयोग नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि ओद्यौगिकीकरण और पर्यटन हमारा मुख्य एवं केंद्रित क्षेत्र होना चाहिए, क्योंकि यही ऐसा क्षेत्र है जो बड़ी संख्या में विदेश जा रहे नौजवानों के इस गंभीर रुझान पर रोक लगा सकता है। राज्य सरकार की सराहना करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि ‘हरीके’ को पर्यटन स्थान के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए, क्योंकि यहाँ अरबों डॉलर कमाने की क्षमता है।  
 
 ‘अमृतसर हेरिटेज वॉक्स’ के संस्थापक गुरिन्दर सिंह जौहल ने हमारे गौरवमयी इतिहास के बारे में जागरूकता की कमी को मुख्य समस्या बताया। श्री हरिमंदिर साहिब में बचे एक रामगढिया बुंगे का जि़क्र करते हुए उन्होंने कपूरथला में सैनिक स्कूल, श्री फतेहगढ़ साहिब में रोज़ा शरीफ़ का भी जि़क्र किया और इनकी देखभाल के लिए सराहना भी की। उन्होंने कहा कि स्मारक और महल, राज्य की महान विरासत होते हैं और हमें भी ‘लाहौर सिटी वाल्ड अथॉरिटी’ की तरह विरासती स्मारकों की देखभाल के बारे में बढिय़ा तरीके सीखने चाहिएं। उन्होंने धार्मिक पर्यटन के बाद विरासती पर्यटन को सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र बताया।  
 
 कंजरवेशन आर्कीटैक्ट गुरमीत संघा राय ने ज़ोर देकर कहा कि विरासती संरक्षण को शहरी लैंडस्केप के हिस्से के तौर पर लिया जाना चाहिए। यह न केवल शहर बल्कि राज्य की नूहार बदलने में अहम योगदान दे सकता है।  
 
 इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक) के प्रधान, पंजाब चैप्टर, मेजर जनरल (सेवामुक्त) बलविन्दर सिंह ने कहा कि जंग से सम्बन्धित समूची विरासत, दस गुरू साहिबानों से सम्बन्धित विरासत, ग्रामीण विरासत और रियासतों की बेशकीमती विरासतों को दस्तावेज़ी रूप में दर्ज करने की ज़रूरत है, क्योंकि पंजाब का इतिहास दुनिया में बेमिसाल है। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यटन के हरेक सर्किट में सैलानियों को 15-16 के लगभग विकल्प (चयन) देने से इस क्षेत्र को और बेहतर ढंग से बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक विरासत के नये युग की शुरुआत करने के लिए ‘इंटैक’, पंजाब सरकार के साथ हिस्सेदारी करने के लिए तैयार है।  
 
 पंजाब चैप्टर के चेयरमैन पी.एच.डी चैंबर आर.एस. सचदेवा ने लोगों को सोशल मीडिया का प्रयोग करके पंजाब की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्ता वाले स्थानों के लिए ‘ऐप’ विकसित करने और हवेलियों एवं विरासती जायदादों की देखभाल के लिए पीपीपी मोड के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कपूरथला में श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के माता, माता गुजरी जी के घर को सुरक्षित रखने और संरक्षण के लिए भी मज़बूती की पुष्टि की, क्योंकि अगले साल उनका 400वां प्रकाश पर्व आ रहा है।  
 
 इंडियन हेरिटेज होटल्ज़ एसोसिएशन ( आईएचएचए) के उप प्रधान विजय लाल ने विरासती जायदादों को पुनर्जिवित करने की महत्ता पर ज़ोर दिया, जिससे यह आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा स्रोत के तौर पर काम कर सकें।  सैशन का संचालन के.पी.एम.जी. के डायरैक्टर डॉ. शिरीष ने किया।

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