हज़ारों किलोमीटर पैदल चलकर भी नहीं फूलती इसकी साँस, राहुल इंसान है या सुपरहीरो
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30 मई से पैदल चलते हुए 1900 किलोमीटर का सफर तय कर माता वैष्णो देवी, अमरनाथ जी, खाटू श्याम जी, माता चिंतपूर्णी जी, ज्वाला जी और हिमाचल की अन्य देवियों के दर्शन करने के बाद अब नेपाल काठमांडू के पशुपतिनाथ अपने कदम बढ़ा रहा है। यह कहानी हाथ में तिरंगा लेकर चले उतर प्रदेश के बदाऊं जिला के पुजारी राहुल शर्मा की है। राहुल शर्मा अपनी यात्राएं पूरी करने के बाद अंंब पहुंचने पर यात्रा का वृतांत बता रहे थे। उनका कहना है कि हाथ में तिरंगा लेने का मतलब देश प्रेम से है। हमारी पहचान सबसे पहले हमारे माता-पिता और उसके बाद अपने देश से है।
घरों पर राजनीतिक दलों के झंडे लगाने वालों को वह देश का झंडा लगाने, प्रेम व भाईचारे से रहने का भी संदेश दे रहे हैं। राहुल ने बताया कि बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था और उन्होंने 8 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था और मंदिर में पुजारी बन गए थे। राहुल का कहना है कि लोग अक्सर कहते हैं कि यह करना बहुत मुश्किल है । लेकिन राहुल उन्नीस सौ किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं और अभी पशुपतिनाथ जा रहे है और यह यात्रा करके उनको काफी अच्छा लग रहा है।